जन्म का नक्षत्र और स्वभाव

कहा जाता है कि ग्रह से बडा नक्षत्र होता है और नक्षत्र से भी बडा नक्षत्र का पाया होता है।हर नक्षत्र अपने अपने स्वभाव के जातक को इस संसार मे भेजते है और नक्षत्र के पदानुसार ही जातक को कार्य और संसार संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है। आइये समझते है नक्षत्र के समय मे जन्म और जातक का स्वभाव.

शतभिषा नक्षत्र का जन्म और स्वभाव

शतभिषा नक्षत्र का मालिक शनि होता है और इस नक्षत्र का प्रभाव उत्तर दिशा की तरफ़ अधिक होता है इस नक्षत्र का तत्व आकाश होता है शरीर मे दाहिनी जांघ पर इसका अधिकार होता है पूरे दिन रात मे इसका भोग काल तीन कला होता है। इस नक्षत्र के चार पायों में गो सा सी और सू अक्षर से माने जाते है। चन्द्रमा के इस नक्षत्र मे होने पर और जिस पाये मे उसका स्थान होता है उसी पाये के अनुसार जातक का नामकरण किया जाता है। शतभिषा नक्षत्र मे जन्म लेने वाले जातक का स्वभाव सत्कार करने वाला होता है,वह किसी भी आदर देने वाले काम के पीछे अपना स्वार्थ जरूर देखता है। बिना किसी लाभ के अगर कोई शतभिषा नक्षत्र मे पैदा होने वाले जातक से मिलने की कोशिश करता है तो अधिकतर मामले मे वह बगली काट कर निकलने वाला होता है। अक्सर देखा जाता है कि जातक बिना कारण ही दूसरे लोगो का ध्यान रखने की कोशिश करने लगता है,इस काम को लोग समाज सेवा या आदर के भाव से देखते है लेकिन लोगो की सोच तब बदल जाती है जब जातक अपने स्वार्थ को पूरा करने के बाद निकल जाता है और जिसका ध्यान रखा जाता था उसके साथ कुछ न कुछ घटना उसके कारण से हो जाती है। इस नक्षत्र का व्यक्ति चलायमान दिमाग का होता है वह कार्य भी ऐसे करता है जहां पर बहुत भीड हो और भीड के अन्दर अपनी औकात को दिखाकर काम करने से उसे अधिक से अधिक धन की प्राप्ति हो। अक्सर पहले पद मे पैदा होने वाले जातक जिनका नाम गो से शुरु होता है वे आजीवन चलते ही दिखाई देते है उनका भाग्य पैदा होने के स्थान से पश्चिम दिशा मे होता है अक्सर तीन सन्तान का योग बनता है जीवन साथी की प्राप्ति पूर्व दिशा से होती है लेकिन जातक जितना मेहनत करने वाला होता है जितना भाग दौड करने वाला होता है जातक का जीवन साथी उतना ही चालाक और तर्क करने वाला होता है,इस पाये मे जन्म लेने वाले जातक के एक से अधिक सम्बन्ध भी बने देखे जाते है लेकिन सभी सम्बन्ध कार्य स्थान तक ही सीमित होते है। जातक खूबशूरती की तरफ़ अधिक भागने वाला होता है। जातक की कन्या सन्तान काफ़ी पढी लिखी होती है लेकिन पुत्र संतान अधिक चालाक और मौके का फ़ायदा उठाने वाले होते है इस पाये मे जन्म लेने वाले जातक के पास अचल सम्पत्ति होती है भाई बन्धुओ से जायदाद के पीछे मनमुटाव भी होता है। दूसरे पाये मे जन्म लेने वाले जातक अक्सर बहुत ही उत्त्तेजित होते है समाय और परिवार मे नाम कमाने वाले होते है वे अपने भाई बहिनो को तभी तक देखते है जब तक कि उनके लिये कोई साधन आजीवन की कार्य शैली के लिये नही मिल जाता है इस पाये मे जन्म लेने वाले जातक के जीवन साथी अगर पुरुष है तो वह अक्सर कमजोर होते है और किसी न किसी प्रकार के वाहन सम्बन्धित व्यवसाय मे जुडे होते है या उन्हे गाडी आदि चलाने का अनुभव अच्छा होता है। हिम्मत मे पक्के होते है किसी भी जोखिम मे जाने से नही डरते है शतभिषा नक्षत्र के तीसरे पाये मे जन्म लेने वाले व्यक्ति गहरी दोस्ती करते है और किसी भी समस्या की जड तक पहुंचना उनका काम होता है,इनके मन के अन्दर इतने रहस्य होते है कि इनके जीवन साथी भी नही जानते है बुद्धिमान भी होते है और किसी भी काम मे कुशल भी होते है लेकिन मन हमेशा अस्थिर होता है जनता के लोगो से और नेता आदि से यह अपने आप ही मानसिक दुश्मनी पाल लेते है जैसे ही बारी आती है किसी न किसी कारण से डुबाने से नही चूकते है। जनता के गुप्त धन पर इनका अधिक ध्यान रहता है। जीवन मे कभी अस्थिरता नही आती है हमेशा अडिग होकर ही काम करने मे अपना विश्वास रखते है,पिता के स्थान पर माता को अधिक मानते है। अक्सर शतभिषा नक्षत्र मे पैदा होने वाले लोगो को अधिक मिठाई खाने की आदत होती है और इसी कारण से डायबटीज और मूत्राशय वाले रोग इन्हे अधिक लगते है,पथरी और इसी प्रकार के रोग भी होते देखे जाते है जब यह कठोरता पर आजातेहै तो बहुत ही निर्दयी स्वभाव के हो जाते है। किसी भी प्रकार का मशीनी लाभ इन्हे अधिक होता है दूसरे के जीवन साथी से सम्पर्क अधिक कायम रखने के कारण भी इनका शरीर कमजोर होता रहता है।

Unless otherwise stated, the content of this page is licensed under Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 License